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जिनालय वंदना

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 जिन भवन देखकर मुझको संसार का किनारा नजर आता है । सहज ही शरण मिलती हमको , मन शांत शीतल हो जाता है । प्राप्त करके छत्रछाया , भाव नमन हो जाता है । बाहर के कर्तृत्व भाव को त्याग , बस एक चेतन आनंद से भर जाता है । श्रद्धा पुष्प समर्पण में ही , यह जीवन हमें लगाना है । मिथ्या भ्रम को छोड़ मुझे , अब आत्म ध्यान को ध्याना है , और निज में ही रम जाना है , अतिशय आनंद प्रगटाना है , अंतर सुख को पाना है । जिनदेव , जिनालय , जैनधर्म , जिनवाणी माता की जय हो, जय हो , जय हो ।। https://suno.com/s/MWiB1hmGPwcDggFv

अतिशय क्षेत्र पजनारी के शांतिनाथ भगवान प्रति श्रद्धा सुमन अर्पण

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 अनुपम रूप निरखकर मैं तो निज से निज में तृप्त हुई , अद्भुत विनय देखी मैंने , निज में अब तो पूर्ण हुई । आत्म प्रतीति अब तो जागी , विनय हृदय में धरती हूं । प्राप्त करके छत्रछाया , जीवन अर्पित करती हूं । शत शत प्रणाम । श्री शांतिनाथ जिनेन्द्राय नमः ।

सीबीएसई, हिंदी , क्लास 9 ,अर्थ के आधार पर वाक्य भेद, उदाहरण

अर्थ के आधार पर वाक्य भेद, उदाहरण वाक्य भेद : वाक्यों के वर्गीकरण के मुख्यतया दो आधार हैं – अर्थ के आधार पर रचना के आधार पर नोट: कक्षा-10 के पाठ्यक्रम में ‘रचना के आधार पर’ वाक्य भेद शामिल नहीं है। अत: यहाँ इसका अध्ययन नहीं किया जाएगा। अर्थ के आधार पर वाक्य भेद – वाक्य में कोई सूचना दी जा रही है, या नकारात्मकता का भाव है, प्रश्न पूछा जा रहा है या विस्मय प्रकट किया जा रहा है, काम करने का आदेश दिया जा रहा है या इच्छा प्रकट की जा रही है, इसे ही ‘अर्थ’ कहा जाता है। इस आधार पर वाक्य के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं विधानवाचक वाक्य प्रश्नवाचक वाक्य आज्ञावाचक वाक्य संदेहवाचक वाक्य नकारात्मक वाक्य इच्छावाचक वाक्य विस्मयवाचक वाक्य संकेतवाचक वाक्य 1. विधानवाचक वाक्य-जिस वाक्य में क्रिया होने या करने की सूचना मिलती हो या. इस प्रकार का सामान्य कथन हो, उसे विधानवाचक वाक्य कहते हैं। विधानवाचक वाक्य को सकारात्मक वाक्य भी कहा जाता है क्योंकि इस प्रकार के वाक्यों में कही गई बात को ज्यों का त्यों मान लिया जाता है। उदाहरण – पक्षी घोंसले से उड़ चुके हैं। कविता ने पाठ याद कर लिया है। नदी में बाढ़ आई है। विजया...

class 9 Hindi , अलंकार वर्णन

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अलंकार वर्णन , हिंदी क्लास 9 CBSE Class 9 Hindi A व्याकरण  अलंकार परिचय : अलंकार का अर्थ है-आभूषण। अर्थात् सुंदरता बढ़ाने के लिए प्रयुक्त होने वाले वे साधन जो सौंदर्य में चार चाँद लगा देते हैं। कविगण कविता रूपी कामिनी की शोभा बढ़ाने हेतु अलंकार नामक साधन का प्रयोग करते हैं। इसीलिए कहा गया है-‘अलंकरोति इति अलंकार।’ परिभाषा : जिन गुण धर्मों द्वारा काव्य की शोभा बढ़ाई जाती है, उन्हें अलंकार कहते हैं। अलंकार के भेद – काव्य में कभी अलग-अलग शब्दों के प्रयोग से सौंदर्य में वृद्धि की जाती है तो कभी अर्थ में चमत्कार पैदा करके। इस आधार पर अलंकार के दो भेद होते हैं – (अ) शब्दालंकार (ब) अर्थालंकार (अ) शब्दालंकार – जब काव्य में शब्दों के माध्यम से काव्य सौंदर्य में वृद्धि की जाती है, तब उसे शब्दालंकार कहते हैं। इस अलंकार में एक बात रखने वाली यह है कि शब्दालंकार में शब्द विशेष के कारण सौंदर्य उत्पन्न होता है। उस शब्द विशेष का पर्यायवाची रखने से काव्य सौंदर्य समाप्त हो जाता है; जैसे – कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। यहाँ कनक के स्थान पर उसका पर्यायवाची ‘गेहूँ’ या ‘धतूरा’ रख देने पर काव्य सौंदर्...

Hindi , अपठित बोध , अपठित गद्यांश , अपठित पद्यांश

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Hindi , अपठित बोध , अपठित गद्यांश , अपठित पद्यांश अपठित काव्यांश भी गद्यांश की भाँति बिना पढ़ा अंश होता है। यह पाठ्यक्रम के बाहर से लिया जाता है। इसके द्वारा छात्रों की काव्य संबंधी समझ का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अंतर्गत विषय वस्तु का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अंतर्गत विषय वस्तु, अलंकार, भाषिक योग्यता संबंधी समझ की परख की जाती है। अपठित काव्यांश हल करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए- दिए गए काव्यांश को कम से कम दो-तीन बार अवश्य पढ़ें। पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों को रेखांकित कर लें। प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में लिखें। उत्तर काव्यांश से ही होना चाहिए। उदाहरण ( उत्तर सहित) 1. रेशम जैसी हँसती खिलती, नभ से आई एक किरण फूल-फूल को मीठी, मीठी, खुशियाँ लाई एक किरण पड़ी ओस की कुछ बूंदें, झिलमिल-झिलमिल पत्तों पर उनमें जाकर दिया जलाकर, ज्यों मुसकाई एक किरण लाल-लाल थाली-सा सूरज, उठकर आया पूरब में फिर सोने के तारों जैसी, नभ में छाई एक किरण प्रश्न (क) कवि ने किरण के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया है? (i) रेशम जैसी (ii) हँसती खिलती (iii) सोने के तारों जैसी (iv) उपर्युक्त सभी (...

class 9, Hindi vyakaran , समास, समास के भेद, परिभाषा

समास की परिभाषा और भेद समास  ‘संक्षिप्तिकरण’ को समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में समास संक्षेप करने की एक प्रक्रिया है। दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले शब्दों अथवा कारक चिह्नों का लोप होने पर उन दो अथवा दो से अधिक शब्दों के मेल से बने एक स्वतन्त्र शब्द को  समास  कहते हैं। उदाहरण ‘दया का सागर’ का सामासिक शब्द बनता है ‘दयासागर’। इस उदाहरण में ‘दया’ और ‘सागर’ इन दो शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले ‘का’ प्रत्यय का लोप होकर एक स्वतन्त्र शब्द बना ‘दयासागर’। समासों के परम्परागत छ: भेद हैं- द्वन्द्व समास द्विगु समास तत्पुरुष समास कर्मधारय समास अव्ययीभाव समास बहुव्रीहि समास ।   1. द्वन्द्व समास जिस समास में पूर्वपद और उत्तरपद दोनों ही प्रधान हों अर्थात् अर्थ की दृष्टि से दोनों का स्वतन्त्र अस्तित्व हो और उनके मध्य संयोजक शब्द का लोप हो तो द्वन्द्व समास कहलाता है; जैसे माता-पिता = माता और पिता राम-कृष्ण = राम और कृष्ण भाई-बहन = भाई और बहन पाप-पुण्य = पाप और पुण्य सुख-दुःख = सुख और दुःख 2. द्विगु समास जिस समास में पूर्वपद संख्यावाचक हो, द्विगु समास कह...

ncert , class 10 , राम - लक्ष्मण - परशुराम संवाद , questions answer

राम लक्ष्मण परशुराम संवाद के प्रश्न उत्तर  प्रश्न 1. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष टूट जाने के लिए कौन कौन से तर्क दिए? परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने तर्क देते हुए कहा कि हमने बचपन में बहुत धनुष तोड़े हैं। इसको तोड़ने पर आपको क्रोध क्यों आया? क्या आपकी इस धनुष के प्रति अधिक ममता थी? हमारी दृष्टि में तो सारे धनुष समान है। दूसरा यह धनुष अत्यधिक पुराना था जो श्रीराम के छूने मात्र से ही टूट गया। भला इसमें श्रीराम का क्या दोष? 2. परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर- परशुराम के क्रोध करने पर राम ने अत्यंत विनम्र शब्दों में–धनुष तोड़ने वाला आपका कोई दास ही होगा’ कहकर परशुराम का क्रोध शांत करने एवं उन्हें सच्चाई से अवगत कराने का प्रयास किया। उनके मन में बड़ों के प्रति श्रद्धा एवं आदर भाव था। उनके शीतल जल के समान वचन परशुराम की क्रोधाग्नि को शांत कर देते हैं। लक्ष्मण का चरित्र श्रीराम के चरित्र के बिलकुल विपरीत था। उनका स्वभाव उग्र एवं उद्दंड था। वे परशुराम को उत्तेजित एवं क्...