Hindi , अपठित बोध , अपठित गद्यांश , अपठित पद्यांश
अपठित काव्यांश भी गद्यांश की भाँति बिना पढ़ा अंश होता है। यह पाठ्यक्रम के बाहर से लिया जाता है। इसके द्वारा छात्रों की काव्य संबंधी समझ का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अंतर्गत विषय वस्तु का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अंतर्गत विषय वस्तु, अलंकार, भाषिक योग्यता संबंधी समझ की परख की जाती है।
अपठित काव्यांश हल करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- दिए गए काव्यांश को कम से कम दो-तीन बार अवश्य पढ़ें।
- पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों को रेखांकित कर लें।
- प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में लिखें।
- उत्तर काव्यांश से ही होना चाहिए।
उदाहरण ( उत्तर सहित)
1. रेशम जैसी हँसती खिलती, नभ से आई एक किरण
फूल-फूल को मीठी, मीठी, खुशियाँ लाई एक किरण
पड़ी ओस की कुछ बूंदें, झिलमिल-झिलमिल पत्तों पर
उनमें जाकर दिया जलाकर, ज्यों मुसकाई एक किरण
लाल-लाल थाली-सा सूरज, उठकर आया पूरब में
फिर सोने के तारों जैसी, नभ में छाई एक किरण
प्रश्न
(क) कवि ने किरण के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया है?
(i) रेशम जैसी
(ii) हँसती खिलती
(iii) सोने के तारों जैसी
(iv) उपर्युक्त सभी
(ख) किरण फूलों के लिए क्या खुशियाँ लेकर आई?
(i) सुंदरता
(ii) सुगंध
(iii) मीठी-मीठी खुशियाँ
(iv) विभिन्न रंग
ग) ओस की बूंदों ने पत्तों पर क्या किया?
(i) उन्हें चमका दिया
(ii) उन पर एक दिया-सा जला दिया
(iii) उन्हें नहला दिया
(iv) उन्हें चमका दिया
(घ) सूरज की विशेषता है
(i) वह गोल-गोल है।
(ii) वह गोल-गोल तथा लाल-लाल है।
(iii) वह लाल-लाल थाली जैसा है।
(iv) वह लाल-लाल गेंद जैसा है।
उत्तर-
(क) (iv)
(ख) (ii)
(ग) (iii)
(घ) (iii)
2. आज जीत की रात
पहरुए, सावधान रहना।
खुले देश के द्वार
अचल दीपक समान रहना
प्रथम चरण है नये स्वर्ग का
है मंजिले का छोर
इस जन-मंथन से उठ आई
पहली रतन हिलोर
अभी शेष है पूरी होना
जीवन मुक्ता डोर
क्योंकि नहीं मिट पाई दुख की
विगत साँवली कोर
ले युग की पतवार
बने अंबुधि समान रहना
पहरुए, सावधान रहना
ऊँची हुई मशाल हमारी
आगे कठिन डगर है।
शत्रु हट गया, लेकिन उसकी
छायाओं का डर है,
शोषण से मृत है समाज ,
कमज़ोर हमारा घर है।
किंतु आ रही नई जिंदगी
यह विश्वास अमर है।
प्रश्न
(क) कविता देश की कौन-सी सुखद घटना की ओर संकेत करती है?
(i) युद्ध में जीत
(ii) 15 अगस्त की सुखद घटना
(iii) गणतंत्र दिवस की सुखद घटना
(iv) विपत्तियों से छुटकारे की रात
(ख) ‘पहरुए’ की ‘दीपक’ और ‘अंबुधि’ के समान बने रहने को क्यों कहा गया है?
(i) क्योंकि दीपक ही प्रकाश देता है और अपनी गहराई से सबको प्रेरणा देता है।
(ii) दीपक और सागर के समान परोपकारी बनने की प्रेरणा
(iii) दीपक और सागर के समान अटल बनने की प्रेरणा
(iv) दीपक और सागर की तरह महान बनने की प्रेरणा
(ग) शोषण से मृत है समाज कमज़ोर हमारा घर है – पंक्ति का अर्थ क्या है?
(i) देश की हालत खास्ता है।
(ii) देश की आर्थिक स्थिति दयनीय है।
(iii) देश की सामाजिक स्थिति ठीक नहीं है।
(iv) देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था कमजोर है।
(घ) ‘ले युग की पतवार बने अंबुधि समान रहना’ पंक्ति में अलंकार है?
(i) उत्प्रेक्षा
(ii) रूपक
(iii) उपमा
(iv) मानवीकरण
उत्तर-
(क) (ii)
(ख) (i)
(ग) (iv)
(घ) (iii)
अपठित गदयांश किसे कहते हैं?
अपठित गद्यांश का अर्थ है कि जो पहले से पढ़ा न हो। वह गद्यांश जो आपकी पाठ्यपुस्तक से नहीं लिया गया हो। इन गद्यांशों के आधार पर कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं तथा इसका उपयुक्त शीर्षक भी लिखना पड़ता है। अपठित गदयांश के प्रश्नों के उत्तर देने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- सबसे पहले मूल विषय को ध्यानपूर्वक दो-तीन बार पढ़ना चाहिए।
- अब मूल विषय को संक्षेप में कच्चा आलेख तैयार कर लेना चाहिए, जिससे उसका भाव स्पष्ट हो सके।
- कच्चे आलेख में कतिपय काट-छाँट करके संक्षेपण को अंतिम रूप देना चाहिए।
- अभ्यास के लिए कुछ उदाहरण:
अपठित गदयांश- 1
देश की राजनीतिक स्वतंत्रता का पूरा आनंद और सुख हम तभी उठा सकते हैं जब हम आर्थिक दृष्टि से भी स्वतंत्र और स्वावलंबी हों और इस आर्थिक स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए जिस बात की सबसे अधिक आवश्यकता है, वह यह है कि अपने देशवासियों के लिए पर्याप्त और पौष्टिक भोजन हम अपने ही देश में उत्पन्न करें। बिना अन्न की समस्या हल किए हमारी समस्त उन्नति की योजनाएँ और हमारे सब सुनहरे स्वप्न निष्फल ही रहेंगे।
प्रश्न
- (क) उपर्युक्त गद्यांश में लेखक ने किस समस्या पर प्रकाश डाला है?
- (ख) गद्यांश का सार संक्षेपण कीजिए।
उत्तर
- (क) लेखक ने खाद्य-समस्या पर प्रकाश डाला है। इसमें कहा गया है कि जब तक हमारे देश की आर्थिक अवस्था नहीं सुधरती और हम अन्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं होते तब तक सुनहरे भविष्य की आशाएँ पूरी नहीं हो सकतीं।
- (ख) सार-राजनीतिक स्वतंत्रता का आनंद बिना आर्थिक स्वतंत्रता और स्वावलंबन के प्राप्त नहीं हो सकता। देश में अन्न की समस्या का समाधान किए बिना स्वप्न साकार नहीं होंगे।
अपठित गदयांश- 2
शिक्षा मनुष्य को मस्तिष्क और शरीर का उचित प्रयोग सिखाती है, वह शिक्षा जो मनुष्य को पाठ्यपुस्तकों के ज्ञान के अतिरिक्त गंभीर चिंतन न दे सके व्यर्थ है। यदि हमारी शिक्षा हमें सुसंस्कृत, सच्चरित्र एवं अच्छे नागरिक नहीं बना सकती, तो उससे क्या लाभ? सहृदय सच्चा किंतु अनपढ़ मजदूर उस स्नातक से अच्छा है जो निर्दय और चरित्रहीन है। संसार के समस्त वैभव और सुख-साधन भी मनुष्य को तब तक सुखी नहीं बना सकते, जब तक मनुष्यों को आत्मिक ज्ञान न हो।
प्रश्न
- (क) शिक्षा का क्या उद्देश्य है?
- (ख) किस प्रकार की शिक्षा व्यर्थ है?
- (ग) उपर्युक्त गद्यांश का उपर्युक्त शीर्षक दो।
उत्तर
Good morning mam
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