अतिशय क्षेत्र पजनारी के शांतिनाथ भगवान प्रति श्रद्धा सुमन अर्पण
अनुपम रूप निरखकर मैं तो निज से निज में तृप्त हुई ,
अद्भुत विनय देखी मैंने , निज में अब तो पूर्ण हुई ।
आत्म प्रतीति अब तो जागी , विनय हृदय में धरती हूं ।
प्राप्त करके छत्रछाया , जीवन अर्पित करती हूं ।
शत शत प्रणाम ।
श्री शांतिनाथ जिनेन्द्राय नमः ।
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