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Showing posts from August, 2021

सीबीएसई, हिंदी , क्लास 9 ,अर्थ के आधार पर वाक्य भेद, उदाहरण

अर्थ के आधार पर वाक्य भेद, उदाहरण वाक्य भेद : वाक्यों के वर्गीकरण के मुख्यतया दो आधार हैं – अर्थ के आधार पर रचना के आधार पर नोट: कक्षा-10 के पाठ्यक्रम में ‘रचना के आधार पर’ वाक्य भेद शामिल नहीं है। अत: यहाँ इसका अध्ययन नहीं किया जाएगा। अर्थ के आधार पर वाक्य भेद – वाक्य में कोई सूचना दी जा रही है, या नकारात्मकता का भाव है, प्रश्न पूछा जा रहा है या विस्मय प्रकट किया जा रहा है, काम करने का आदेश दिया जा रहा है या इच्छा प्रकट की जा रही है, इसे ही ‘अर्थ’ कहा जाता है। इस आधार पर वाक्य के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं विधानवाचक वाक्य प्रश्नवाचक वाक्य आज्ञावाचक वाक्य संदेहवाचक वाक्य नकारात्मक वाक्य इच्छावाचक वाक्य विस्मयवाचक वाक्य संकेतवाचक वाक्य 1. विधानवाचक वाक्य-जिस वाक्य में क्रिया होने या करने की सूचना मिलती हो या. इस प्रकार का सामान्य कथन हो, उसे विधानवाचक वाक्य कहते हैं। विधानवाचक वाक्य को सकारात्मक वाक्य भी कहा जाता है क्योंकि इस प्रकार के वाक्यों में कही गई बात को ज्यों का त्यों मान लिया जाता है। उदाहरण – पक्षी घोंसले से उड़ चुके हैं। कविता ने पाठ याद कर लिया है। नदी में बाढ़ आई है। विजया

class 9 Hindi , अलंकार वर्णन

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अलंकार वर्णन , हिंदी क्लास 9 CBSE Class 9 Hindi A व्याकरण  अलंकार परिचय : अलंकार का अर्थ है-आभूषण। अर्थात् सुंदरता बढ़ाने के लिए प्रयुक्त होने वाले वे साधन जो सौंदर्य में चार चाँद लगा देते हैं। कविगण कविता रूपी कामिनी की शोभा बढ़ाने हेतु अलंकार नामक साधन का प्रयोग करते हैं। इसीलिए कहा गया है-‘अलंकरोति इति अलंकार।’ परिभाषा : जिन गुण धर्मों द्वारा काव्य की शोभा बढ़ाई जाती है, उन्हें अलंकार कहते हैं। अलंकार के भेद – काव्य में कभी अलग-अलग शब्दों के प्रयोग से सौंदर्य में वृद्धि की जाती है तो कभी अर्थ में चमत्कार पैदा करके। इस आधार पर अलंकार के दो भेद होते हैं – (अ) शब्दालंकार (ब) अर्थालंकार (अ) शब्दालंकार – जब काव्य में शब्दों के माध्यम से काव्य सौंदर्य में वृद्धि की जाती है, तब उसे शब्दालंकार कहते हैं। इस अलंकार में एक बात रखने वाली यह है कि शब्दालंकार में शब्द विशेष के कारण सौंदर्य उत्पन्न होता है। उस शब्द विशेष का पर्यायवाची रखने से काव्य सौंदर्य समाप्त हो जाता है; जैसे – कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। यहाँ कनक के स्थान पर उसका पर्यायवाची ‘गेहूँ’ या ‘धतूरा’ रख देने पर काव्य सौंदर्य सम